हमें रचनात्मक और आलोचनात्मक सोच वाले अच्छे विदर्थी पैदा करने चाहिए:- माहिर
जसवाल, ऊना ,23 जनवरी: राषट्रीय शिक्षा नीती (एनईपी) शिक्षक प्रणाली की बेहतरी में सामूहिक समाज की भागीदारी की सहूलत देगी जो इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेगी कि शिक्षा के अन्दर कैसे रहना और काम करना है। यह बात मंगलवार को अतिरिक्त उपायुक्त ऊना महेंद्र पाल गुर्जर ने कही। रयात बाहरा यूनीवरसिटी की ओर से सथानिय होटल में आयोजित की गई प्रिंसीपल मीट को सम्बोधन करते अतिरिक्त उपायुक्त ऊना महेंद्र पाल गुर्जर ने शिक्षा के क्षेत्र में गतीशील तबदीलियों की कमी पर दुख जताया और कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में आई कमी का एक मुख्य कारण शायद भरोसे की कमी है। इस दौरान अतिरिक्त उपायुक्त ऊना महेंद्र पाल गुर्जर ने आरबीयू-ऐज स्कालरशिप सकीम भी लांच की। इस मौके रयात बाहरा यूनीवरसिटी के चांसलर, गुरविन्दर सिंह बाहरा, जो कि रयात बाहरा गरुप्प आफ इंसटीच्यूसनज के चेअरमैन भी हैं, ने भाग लोने वाले प्रिंसीपलों को आमंत्रित किया कि हम समाज के समक्ष चुणौतियों पर विचार करें और अपील की कि हम सभी सीखने के मुख्य उदेशय और इस के हल का हिस्सा बने। बाहरा ने आगे कहा कि हमें ऐसे सिख्यार्थी पैदा करने चाहिए जो रचनात्मक, आलोचनात्मक और संकल्प सीखने वाले हों ना कि सिर्फ डिगरी के लिए सीखते हैं। रयात बाहरा यूनीवरसिटी के वाईस-चांसलर डा परविन्दर सिंह ने अपने भाषण में कहा कि सरकार शिक्षा और तकनालोजी के इस मेल-जोल को सुचारू बनाने केलिए पैदा होने वालीं सभी चुणौतियों केसाथ निपटने केलिए वचनबद्ध है क्युंकि इंटरनैट्ट कुनैकटीविटी अब पानी की तरह एक बुन्यादी जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि इस सबंधी जागरूकता पैदा करनी पडेगी और इस केसाथ शिक्षा के द्रिशटीकोण में बढा बदलाव आएगा। उन्होंने अपने भाषण को परिवरतनशील शिक्षक नीती की सहूलत की प्रक्रिया में सकारात्मक तबदीलियां करने की वचनबद्धता केलिए शामिल संसथाओं को बधाई और प्रसंसा करते समाप्त किया। प्रिंसीपलों की इस मीटिंग में अलग -अलग संसथाओं से बढी संख्या में प्रिंसीपलों ने भाग लिया और नई शिक्षा नीती के अलग -अलग पहलूओं बारे अपने विचार प्रगट किए जिनकी बहुत प्रसंसा की गई। दविन्दर चन्देल डिप्टी डायरैक्टर एज़ुकेशन ऊना ने कहा कि प्रिंसीपलों की कानफ्रंस अमीर प्रबंधन अभ्यासों और प्रणालियों को समझने के लिए एक सांझा यतन है जिन्होंने विशव के जीडीपी में योगदान के मामले में भारत को विशव का मोहरी देश बनने में मदद की है। डा चन्दर मोहन कैंपस डायरैक्टर रयात बाहरा होशियारपुर कैंपस ने ऐसे समय के सन्दर्भ केसाथ सम्बंधित प्रबंधन सिध्दांतों और अभ्यासों की पहचान करने केलिए अमीर भारतीय ज्ञान प्रणाली की पड़चोल करने के महत्त्व को रेखांकित किया और एनईपी -2020 प्रबंधन पाठयक्रम में तबदीलियोंं का सुझाव दिया। इस मौके अन्य के इलावा रयात बाहरा यूनीवरसिटी के एडमिशन मार्किटिंग विभाग के डायरैक्टर पंकज वर्मा और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
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