जेबीटी बेरोजगार संघ ने अपनी मांगों को लेकर ऊना में निकाला रोष मार्च
जसवाल, ऊना ( 12 फरवरी ) हिमाचल प्रदेश जेबीटी बेरोजगार संघ एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना के अंतर्गत 50 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक तथा शिक्षा स्नातक तथा बीऐड को जेबीटी के पदों पर नियुक्ति के निर्णय व हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में कुछ बीएड अभ्यर्थियों की याचिका को अस्थाई रूप से जेबीटी के पदों पर आवेदन करने का विरोध करता है निर्णय लेने से पहले हमारी भी विशेष बातों पर गौर किया जाए।एक जेबीटी प्रशिक्षु द्वारा प्राथमिक स्तर पर सभी विषयों को पढ़ाने का प्रशिक्षण दिया जाता है वहीं दूसरी और एक बीएड प्रशिक्षु द्वारा किन्हीं दो विषयों को पढ़ाया जाता है जेबीटी और बीएड के पक्षियों के पाठ्यक्रम में काफी अंतर है जेबीटी प्रशिक्षु की न्यूनतम योग्यता 12वीं पास और बीएड शिक्षकों की योग्यता स्नातक की डिग्री रखी गई है योग्यता में भी काफी अंतर स्पष्ट दिखाई दे रहा है वहीं दूसरी ओर आधी भर्ती पहले ही बेच बाईज करवाई जा चुकी है शेष पदों पर कमिशन 12 मई 2019 को हमीरपुर बोर्ड द्वारा करवाया जा चुका है जिसमें लगभग 6000 जेबीटी टेट पास और लगभग 28000 ब 3000 के बीच बीएड डिग्री धारकों ने जेबीटी कमिशन की परीक्षा दी और राज्य सरकार के आरएंड पी नियमों में भी बीएड वालों के लिए जेबीटी में फिलहाल कोई स्थान नहीं है ऐसे में भर्ती के बीच में इन नियमों को तोड़ना भी न्याय संगत नहीं होगा। साथ ही बीएड के प्रशिक्षु अभी तक जेबीटी टेट पास नहीं है और ना ही जेबीटी टेट के लिए बीएड कोई योग्यता है ऐसे में अगर इन्हें जेबीटी कमिशन में भाग लेने का मौका दिया जा रहा है तो यह टैट पास जेबीटी अभ्यर्थियों के साथ गलत होगा उनके अधिकारों का हनन होगा एनसीटीई के 28-06-2018 की अधिसूचना के अनुसार यह कहा गया है की कक्षा 1 से 5 तक बढ़ाने के लिए अध्यापक के रूप में नियुक्ति हेतु विचार किया जाएगा ।इसमें केंद्र सरकार राज्य सरकार को भी बाध्य नहीं कर सकती ,यह नियम उन राज्यों की दुर्दशा देखकर बनाए गए थे जिन राज्यों में जेबीटी प्रशिक्षुओं की संख्या कम थी वहां प्राथमिक अध्यापकों की मांग अधिक थी। जबकि हमारे प्रदेश की स्थिति इस प्रकार से नहीं है वर्तमान में राज्यों में 18000 से 20000 जेबीटी प्रशिक्षु प्रशिक्षित हैं अब इसमें राज्य सरकार को भी विचार करना होगा कि ऐसे में क्या बीएड प्रशिक्षुओं को जेबीटी के साथ टेट व कमीशन में बैठने देना न्याय संगत है या नहीं, लाखों की तादात में बीएड प्रशिक्षुओं को जेबीटी के कमीशन में बैठने का मौका देने का मतलब है जेबीटी प्रशिक्षुओं का हक छीनना जेबीटी प्रशिक्षुओं को अलग से 2 वर्ष का प्रशिक्षण दिया जाता है जबकि बीएड प्रशिक्षुओं को अलग से ,ऐसे में अगर बीएड प्रशिक्षुओं के समान अधिकार प्राप्त होते हैं तो सरकार द्वारा जेबीटी प्रशिक्षुओं को 2 वर्ष का प्रशिक्षण देने का कोई वजूद नहीं रह जाएगा ।नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय लिया गया था की उच्च योग्यता रखने वाले अभ्यार्थी योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों के साथ किसी भी रूप में परीक्षा में मान्य नहीं होगा अभी हाल ही में 12 मई 2019 को हमीरपुर बोर्ड द्वारा जेबीटी कमिशन के लिए जो परीक्षा ली थी उसमें लगभग 36000 अभ्यर्थियों ने भाग लिया है। हमीरपुर बोर्ड द्वारा बीएड डिग्री धारकों को पात्र ना मानकर उन्हें उक्त परीक्षा के परिणाम में शामिल न किया जाए और परीक्षा परिणाम के बाद दस्तावेज सत्यापन के लिए केवल जेबीटी बीएड अभ्यर्थी को ही बुलाया जाए ।10 अक्टूबर 2019 को दिल्ली सरकार ने भी बीएड डिग्री धारकों प्रवेश कराने से इंकार कर दिया, 7 दिसंबर को बिहार सरकार द्वारा भी जेबीटी बीएड अभ्यर्थियों को प्राथमिकता देते हुए प्रशिक्षुओं का भविष्य सुरक्षित किया ,मध्य प्रदेश सरकार ने भी जेबीटी को प्राथमिकता दी और पश्चिम बंगाल सरकार ने पहले से ही सभी जेबीटी को प्रथम प्राथमिकता प्रदान की हुई है अतः हम मांग करते हैं भारत की वर्तमान में 20000 जेबीटी प्रशिक्षुओं को उचित न्याय जिसके लिए जेबीटी बेरोजगार प्रशिक्षु संघ का आपके सहयोग का आजीवन आभारी रहेगा । इन सभी मांगों को लेकर आजा यह रोष मार्च निकाला गया और एसडीएम डॉ सुरेश जसवाल के माध्यम से सरकार को ज्ञापन सौंपा गया। इस मौके पर रोहित अनिकेत बलविंदर रोहित शुभम नीरज विश्वदीप विनोद आदि बहुत से प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।