पार्षद चैतन्य शर्मा ने साबित किया कि राजनैतिक पार्टी के सहयोग के बिना भी किसी योजना को साकार किया जा सकता है
जसवाल (ऊना ) चैतन्य शर्मा को हाल ही में ज़िला परिषद के रूप में चुना गया है। अपना पद सम्भालने से पूर्व ही वह अपनी जिम्मेदारियाँ निभा रहे थे। ऊना की सुरक्षा अभियान के ज़रिए उन्होंने कई परिवारों और रोगियों तक मदद पहुँचाई थी। आज भी वह अपना राजनैतिक और सामाजिक कर्तव्य निभाने के लिए हर सम्भव तरीक़े से कोरोना पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। अपने सामाजिक कार्यों से वह यह संदेश दे रहे हैं कि अगर इरादें सच्चे हो तो साथ मिलकर कोरोना रूपी महामारी को भी परास्त किया जा सकता है। चैतन्य शर्मा के बारे में कयास लगाए जा रहे थे कि किसी राजनैतिक पार्टी के सहयोग के बिना किसी भी योजना को साकार नहीं किया जा सकेगा। परंतु जिस तीव्र गति से यह युवा नेता अपने क्षेत्रवासियों की सेवा कर रहा है उससे सभी दल आश्चर्यचकित रह गए हैं। अपने दमख़म पर काम कर रहे चैतन्य यह साबित कर चुके हैं की काम करने के लिए नियत चाहिए होती है किसी राजनैतिक दल की शह नहीं। चैतन्य शर्मा दूर कि सोच रखने वाले युवा नेता हैं। उन्होंने एक ख़ास सेवा शुरू कि है प्रवासी निवासियों के लिए जो क्षेत्रिय लॉकडाउन की वजह से अपने घर नहीं लौट पा रहे हैं। इस सेवा के माध्यम से कई घरों के चिराग़ अपनी माओं के पास वापिस आ पाएँ हैं। ऐसी ही कहानी है साहिल कुमार की जो मोहाली में काम करते थे। कोरोना पॉजीटिव होने के कारण अपने घर भंजाल आना चाहते थे। जब साहिल ने घर आने के लिए चैतन्य शर्मा से फोन पर मदद मांगी तो चैतन्य शर्मा ने साहिल को गाड़ी भेज कर मोहाली से सकुशल भंजाल घर तक पहुँचाया। जिसके लिए साहिल का परिवार चैतन्य शर्मा का आभारी है। ऐसी ही आपबीती है पिरथीपुर से ज्योति जी की जो अपने परिवार के साथ होशियारपुर हॉस्पिटल में दाखिल थी। घर वापिस आने का कोई साधन नही था। ज्योति ने फ़ोन पर चैतन्य शर्मा को अपनी व्यथा सुनायी जिन्होंने तुरंत ही गाड़ी भेज कर ज्योति को परिवार सहित उनको उनके घर पिरथीपुर पहुँचाया। शायद आज कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जिसके दिल को चैतन्य शर्मा ने अपनी निस्वार्थ सेवा जीत ना लिया हो। जो काम बड़े बड़े पदों पर बैठे लोग नहीं कर पाए वो हर काम चैतन्य शर्मा ने कर दिखाया है। हमें गर्व है हिमाचल के इस लाल पर जो अपनी माटी का क़र्ज़ बखूबी निभा रहा है।