आशा वर्कर यूनियन ने धरना प्रदर्शन कर अधिकारियों को सौंपे मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
करनाल, आशुतोष गौतम ( 12 जून) आशा वर्कर यूनियन ने आज अपनी मांगों को लेकर सभी पीएचसी व सीएचसी पर दो-दो घंटे धरना प्रदर्शन कर अधिकारियों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपे। यूनियन की जिला प्रधान सुदेश रानी, सुमन सुभरी व रोशनी ने कहा कि कहा कि आशा वर्कर कोरोना महामारी से लडऩे में फ्रंटलाइन वर्कर्स के तौर पर जी जान से मेहनत कर रही हैं। यह काम करते हुए आशाओं ने दबंगों एवं असामाजिक तत्वों द्वारा हमलो का सामना किया है। आशा स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी अनेक तरह के दुव्र्यवहार का सामना कर रही हैं। आशाओं पर हो रहे हमलों पर भी विभाग कोई खास कार्रवाई नहीं कर रहा है। आशाओं को गुणवत्तापरक सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे हैं। आशाओं का काम कोरोना महामारी में दोगुना हो गया है उसके बावजूद भी आशाओं को मिलने वाली प्रोत्साहन राशियों में कटौती की जा रही है। हम बार-बार सरकार को आशाओं के सामने आने वाली समस्याओं बारे अवगत करवाते रहे हैं, बार-बार मांग पत्र भी भेजे गए हैं इसके बावजूद भी सरकार आशाओं की मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। निंसग मे बबली, कविता, सुमन लक्षमी सन्तोष, किरण, इन्द्री से मैना, सुमन, रोशनी ,नरेश, सुनीता, घरौंडा सुरेशो, सुनीता, ममता, करनाल में सुमन सुभरी, जरासो, सरोज, जगपाल राणा, ओपी माटा, प्रोमिला, सूनैना, कमलेश, असन्ध में ममता, स्वदेश नीलम, रजनी उषा और कान्ता नीलीखेड़ी में सीमा, लखविन्द्र, कविता वन्दना, कान्ता व रमन ने आशा वर्करों को संबोधित किया।
ये हैं मुख्य मांगें- आशा वर्कर्स लगातार लोगों के संपर्क में रहती हैं इसलिए बिना किसी सिम्टम्स के भी तमाम आशाओं के महीने में एक बार ष्श1द्बस्र-19 टेस्ट जरूर कराए जाएं। आठ एक्टिविटीज पर राज्य सरकार से मिलने वाली 50 प्रतिशत इनसेंटिव को दोबारा लागू किया जाए। अभी भी काफी जगहों पर आशाओं को मास्क सैनिटाइजर इत्यादि मिलने में समस्याएं आ रही हैं। आशा वर्कर्स को मास्क, ग्लब्स, सैनिटाइजर उपलब्ध करवाए जाए। कंटेनमेंट जोन में काम करने वाली आशाओं को पीपीई किट उपलब्ध करवाई जाए। आशाओं पर असामाजिक तत्वों द्वारा हो रहे हमलों में विभाग आशाओं का सहयोग करे एवं त्वरित कार्रवाई करे। अभी ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं हो पा रहा है बार-बार यूनियन को ही हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। आशाओं को अकेले फील्ड में भेजने की बजाय पहले भी हम मांग करते रहे हैं कि टीम को भेजा जाए जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अन्य फील्ड वर्कर भी शामिल हो और इसमें अन्य विभागों से भी मदद ले सकते हैं जैसे कि आईसीडीएस इत्यादि। सभी आशाओं को 4000 जोखिम भत्ता दिया जाए। आशा एवम् आशा फैसिलिटेटर को पहले से मिल रही पहचान राशि में किसी तरह की कोई कटौती ना की जाए। उन मीटिंग के पैसों की भी कटौती ना की जाए जो कोरोना के चलते संभव नहीं हो पा रही हैं। हमारे पास कई जिलों से आशाओं की गतिविधियों के एवं आशा फैसिलिटेटर्स के पैसे काटने की शिकायत मिली है। एरिया से बाहर एवं आशाओं को पहले से अलोटेड एरिया से अतिरिक्त जगह पर काम करवाना बंद किया जाए और आशाओं पर से आशा सर्वेक्षण ऐप डाउनलोड करने एवं डिजिटली काम करने का दबाव हटाया जाए।