फोरलेन से प्रभावित सालों से कर रहे है मांग और बाहरी निवेशकों को झटके में दी राहत
फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष ब्रजेश महंत ने इन्वेस्टर मीट को लेकर सरकार को घेरा
नीना गौतम कुल्लू, 07 नवंबर। धर्मशाला में हो रही इन्वेस्टर मीट से हिमाचल सरकार को भारी निवेश आने की उम्मीदे हैं, जिससे प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाने में सहायता मिलेगी। जिसके चलते हिमाचल सरकार ने निवेशकों को राहत देने के लिए प्रदेश के कई कानूनों में निवेशकों को राहत प्रदान की है। अब जहां निवेशकों को हिमाचल प्रदेश पंचायती राज एक्ट 1994, हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम 1994, हिमाचल प्रदेश म्यूनिसिपल एक्ट 1994 हिमाचल प्रदेश फायर फाइटिंग सर्विसेज एक्ट 1984, हिमाचल प्रदेश रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट 1968, हिमाचल प्रदेश शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेबलिशमेंट एक्ट 1969, हिमाचल प्रदेश सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 2006, हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट 1977 जैसे अधिनियमों के प्रावधानों से तीन वर्ष के लिए राहत प्रदान के संदर्भ में अध्यादेश जारी किया है। वहीं दूसरी ओर ऐसी ही राहतों की मांगें फोरलेन से प्रभावित प्रदेश की जनता सालों से कर रही है। प्रदेश में बन रही विभिन्न फोरलेन परियोजनाओं से जुड़े ऐसे मुद्दों को फोरलेन संघर्ष समिति पिछले पांच सालों से उठा रही है। फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष ब्रजेश महंत ने प्रैस को जारी एक बयान में कहा कि बाहर से आने वाले निवेशकों को दी जाने वाली राहत स्वागत योग्य है। परंतु ऐसी राहतें बाहरी निवेशकों को ही नहीं अपितु प्रदेश की गरीब जनता को भी मिलनी चाहिए। समिति फोरलेन के चार गुणा मुआवजे, पुनस्र्थापना व पुनर्वास के साथ-साथ टीसीपी व पांच मीटर कंट्रोल विडथ जैसे मुद्दों पर सरकार से राहत की मांग करती रही है। अब जबकि प्रदेश सरकार ने निवेशकों को 3 साल के लिए राहत दी है। तो क्या सरकार प्रदेश की जनता जोकि अपने-आप में ऐसे लघु निवेशक हैं व जिनकी आर्थिकी प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ है, को कोई स्थाई राहत इन कानूनों को निरस्त करके नहीं दी जा सकती। उल्लेखनीय है कि समिति हिमाचल प्रदेश रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट 1968 को वर्तमान में जारी रखने पर प्रश्र चिन्ह लगाती आयी है, इस कानून के चलते हजारों प्रभावित अपनी जमीनों पर भवन निर्माण आदि नहीं कर पा रहे है। वहीं 1968 के बाद सड़क के 5 मीटर के दायरे में बने सभी निर्माणों पर तलवार लटकी हुई है। 50 साल पूर्व बने इस अव्यवहारिक व अप्रासंगिक कानून को ढोना अपने आप को धोखा देना है। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग एक्ट 1977 के प्रावधानों को हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों में बिना किसी विचार विमर्श अव्यवहारिक ढंग से थोप देना जनता के लिए बड़ी परेशानी लेकर आया है। समिति सरकार से मांग करती है कि हिमाचल प्रदेश रोड साइड लैंड कंट्रोल एक्ट 1968 को पूर्णतया निरस्त किया जाये वहीं हिमाचल के ग्रामीण क्षेत्रों को टीसीपी से बाहर करके जनता को राहत दी जाये। वहीं फोरलेन से प्रभावित जनता दिसम्बर 2018 में अधिसूचित हुई कैबिनेट सब कमेटी की पहली बैठक का 10 महीनों से इंतजार करके थक चुकी है। प्रभावितों की इस प्रकार अनदेखी पर प्रभावित चिन्ता व भारी रोष में है, रोष का यह गुबार कभी भी फूट सकता है। इसलिए सरकार फोरलेन मामलों के निपटारे के लिए बनी कैबिनेट सब
कमेटीकी बैठक तुरंत करवा कर जनता के मुद्दों पर कारवाई करे।