उपायुक्त ने प्रशिक्षणाधीन आईएएस अधिकारियों के साथ खेतो में जाकर किया फसलो की ई-गिरदावरी का निरीक्षण
करनाल, आशुतोष गौतम ( 19 फरवरी ) जिला में फसलों की ई-गिरदावरी का काम जोरों से किया जा रहा है। अब तक 157 गांव कवर कर लिए गए हैं, जबकि 423 गांवो के रकबे की गिरदावरी की जानी हैं। गिरदावरी के कार्य में राजस्व विभाग के पटवारी जुटे हैं और टेबलेट की मदद से यह कार्य किया जा रहा है। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बुधवार को सलारू, उचाना व कुराली के खेतो में की जा रही गिरदावरी का निरीक्षण किया। उनके साथ प्रशिक्षणाधीन आई.ए.एस. आशीष सिन्हा, अखिल पिलानी, सचिन गुप्ता, अपराजिता, डीआरओ श्याम लाल, तहसीलदार राजबख्श के अतिरिक्त हल्का कानूनगो, पटवारी व एनआईसी के ट्रेनर तेज सिंह भी मौजूद रहे। गौर हो कि हरियाणा में ई-गिरदावरी वर्ष 2017 में करनाल जिला के 10 गांवो में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई थी, जो सफल रही और उसके बाद राजस्व विभाग हरियाणा के निर्देश पर यह पूरे प्रदेश में लागू हुई। खास बात यह है कि करनाल जिला ने विगत खरीफ सीजन में प्रदेश में सबसे पहले ई-गिरदावरी पूरी की थी और मौजूदा रबी सीजन में भी यह जिला सबसे आगे है। उम्मीद है कि आगामी 28 फरवरी तक सभी गांवो की ई-गिरदावरी मुकम्मल कर ली जाएगी। नियमानुसार साल में दो बार खेतो में खड़ी फसलों की गिरदावरी की जाती है और उसका सारा डाटा, राजस्व अधिकारियों की पड़ताल के बाद तहसील स्तर पर अपलोड कर, चण्डीगढ़ स्थित राजस्व विभाग की वैब हैलरिस में जाकर स्टोर हो जाता है। यदि प्राकृतिक आपदा से फसलो में खराबा हो जाए, तो सरकार के निर्देश पर स्पेशल गिरदावरी की जाती है। उपायुक्त के निरीक्षण के दौरान राजस्व अधिकारी आज प्रात: पहले से ही सलारू गांव के खेतो में मौजूद मिले। इस जगह पर सलारू, उचाना और कुराली तीन गांवो के खेतो की सीमा लगती है। उन्होंने सम्बंधित पटवारियों द्वारा टेबलेट की मदद से ई-गिरदावरी करते देखा। टेबलेट में पहले से ही जमाबंदी के सारे नम्बर फीड थे। उसी आधार पर मुरब्बा नम्बर और किला नम्बर सलेक्ट करके सम्बंधित फसल की गिरदावरी की गई। यदि एक मुरब्बा में एक ही तरह की फसल खड़ी हो, तो गिरदावरी का काम ओर आसान हो जाता है। यदि फसल के बीच में सब्जी इत्यादि का किला आ जाए, तो गिरदावरी के अलग-अलग नम्बर रहेंगे। उपायुक्त ने निरीक्षण के दौरान टेबलेट से की जाने वाली ई-गिरदावरी की गहनता से जानकारी ली और गेहूं की फसलो के बीच जाकर गिरदावरी करवाई और अपनी संतुष्टïी जाहिर की। उपायुक्त के साथ दौरे पर गए प्रशिक्षणाधीन आई.ए.एस. अधिकारियों ने भी ई-गिरदावरी के तौर तरीके को देखने व समझने में काफी रूचि ली। उन्होंने बताया कि 28 फरवरी को गिरदावरी का काम मुकम्मल कर लेने के बाद इसकी पड़ताल होती है, जो कुछ प्रतिशत के हिसाब से कानूनगो, तहसीलदार, डीआरओ, एसडीएम, उपायुक्त और आयुक्त चैक करते हैं। यदि कोई त्रुटी मिलती है, तो वह इन अधिकारियों के स्तर पर दुरूस्त हो जाती है। उपायुक्त ने बताया कि वैसे तो गिरदावरी का चलन काफी पुराना है, लेकिन बदलते समय के साथ अब गिरदावरी मैन्यूअल न करके टेबलेट से की जा रही है। इसमें समय की बचत के साथ-साथ डाटा एकत्रीकरण में एक्यूरेसी बनी रहती है और वैब हैलरिस में जाकर सारा डाटा सुरक्षित हो जाता है। इसी डाटा के आधार पर सरकार को, फसलों के वर्गीकरण की कैल्कूलेशन करने में आसानी हो जाती है।