सदैव रखें गुणग्राही दृष्टि : प्रेम दीदी
करनाल, आशुतोष गौतम (19 मई) प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेक्टर सात सेवा केंद्र की संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी पे्रम दीदी ने कहा कि सदगुणों से ही मनुष्य में देवत्व आता है। उनको दबा देने से आती है आसुरीयता। गुण ग्राहक मनुष्य ही वास्तव में प्रभु पसंद, लोक पसंद और मन पसंद होता है अत: मनुष्य को चाहिए कि जैसे हंस मोती चुगता है अथवा क्षीर ले लेता है नीर छोड़ देता है, वैसे ही सदगुण्ण ग्रहण कर लें और अवगुणों को त्याग दें। सुंदर-सुंदर फूल सुगंध बिखेरते हैं, वह सुगंध उनमें पैदा कहां से होती है? उन्हें जो खाद दी जाती है वह तो बहुत ही दुर्गंधपूर्ण होती है और कालिया, कुरुपता तथा कठोरता को लिए होती है, परंतु पुष्प उसमें से भी किसी प्रकार कोमलता, रंग, सौंदर्य और सुगंध लेकर ऐसा खिल जाता है कि उसे देखने वाले के मुख पर मुस्कान, नेत्रों में ताजगी और मन में आनंद भर जाता है। संसार में मनुष्य के सामने भी अनेक प्रकार की परिस्थितियां आती हैं और उसका संपर्क भी विभिन्न प्रकार के लोगों से होता है। यदि वह उन परिस्थितियों में भी गुण ग्राहकता का दृष्टिकोण बना ले और हरेक मनुष्य में जो गुण हैं, उन ही को देखें तो एक-एक व्यक्ति से, एक-एक गुण लेते हुए भी वह सर्वगुण सपन्न बन सकता है। मनुष्य की दृष्टि और वृति पर बहुत कुछ निर्भर करता है। एक ही जैसी परिस्थिति में गुणग्राही व्यक्ति हर्षित हो रहा होता है, जबकि दूसरा अवगुण उठाकर जल भुन रहा होता है। सदगुणों का सागर तो एक निराकार ज्योर्तिबिंदु ज्योतिस्वरूप परमपिता परमात्मा शिव ही है। आवश्यकता इस बात की है कि उसकी दी हुई शिक्षा को धारण करें।