ट्रक यूनियन का बोलबाला प्रदेश की इंडस्ट्री के लिए ही नहीं हिमाचल के लिए भी घातक है – राकेश कौशल
जसवाल, ऊना ( 30 मई ) ट्रक यूनियन टाहलीवाल द्वारा उद्योगों पर यह दबाब बनाना कि गाढ़ी यूनीयन की ही लेनी होगी बाहर की कोई भी गाड़ी क्षेत्र में घुसने नही दी जाएगी। टाहलीवाल औद्योगिक क्षेत्र में ट्रक यूनियन द्वारा भाड़़े के मनमाने तथा भारी भरकम भाड़़े के दाम उद्योगों को चुकाने को मजबूर होना पड़ रहा है। अगर उद्यमी इस अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंध करता है और ट्रक यूनियन द्वारा भाड़ा 60 से 70 फीसदी अधिक लिए जाने का बिरोध करता है तो उसको ट्रक यूनियन की गुंडागर्दी का शिकार होना पड़ता है। क्षेत्र के उद्योगपति द्वारा प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर इस समस्या के बारे में अवगत करवाया गया है जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार के उद्योग सचिव को पत्र लिखा गया है जिसमें ट्रक यूनियन की मनमानी के बारे में शिकायत की गई है। इस पत्र के माध्यम से यह भी कहा गया है कि ट्रक यूनियन की मनमानी के कारण हिमाचल प्रदेश में उद्योगों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है जिसके कारण उनको प्रदेश में सरवाइव करना मुश्किल हो रहा है।
पत्र के माध्यम से यह भी कहा गया है कि प्रदेश में नए उद्योग लगने के लिए एक अच्छा एनवायरमेंट चाहिए तथा ट्रक यूनियन की गुंडागर्दी तथा मनमाने दामों से औद्योगिक विकास के राह में यह सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। इंडस्ट्री को ट्रक यूनियन के ट्रकों का भाड़ा काफी ऊंचे दामों में चुकाना पड़ रहा है।कोरोना महामारी के चलते जहां पर देश की आर्थिक हालत में मंदी का आलम है तथा औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है। इस महामारी के चलते कई लोगों की नौकरियां जा रही हैं तथा देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, लेकिन तटाहलीवाल औद्योगिक क्षेत्र में ऐसी भी इंडस्ट्री है जो इस महामारी के दौरान हिमाचल प्रदेश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवा रही है। मॉडल्स इंडस्ट्री द्वारा हिमाचली युवाओं को रोजगार दिया जा रहा है तथा अपने श्रमिकों व कर्मचारियों के खाने पीनेे का भी प्रबंध उद्योग के अंदर फ्री में किया गया हैै। उक्त उद्योग द्वारा ट्रक यूनियन टाहलीवाल को लगभग 4 करोड रुपए का बिजनेस दिया जा रहा है। यही नहीं प्रदेश सरकार को भी करोड़ों रुपए टैक्स के रूप में दिए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी इस उद्योग को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और ट्रक यूनियन की गुंडागर्दी का शिकार होना पड़ रहा है ।
बताया जा रहा है कि जिला ऊना में उत्तराखंड के सितारगंज तक किसी बाहरी ट्रांसपोर्टर द्वारा 1100 रुपए टन के हिसाब से भाड़ा वसूला जा रहा है जबकि ट्रक यूनियन द्वारा यह भाड़ा 1750 रुपए प्रति टन के हिसाब से वसूला जा रहा है जबकि यह अंतर 650 रूपए के लगभग बैठता है। ऐसे ही हरिद्वार के लिए भी भाड़े में काफी अंतर देखा जा रहा है। ट्रक यूनियन द्वारा 1350 रुपए प्रति टन भाड़ा लिया जा रहा है जबकि बाहरी ट्रांसपोर्ट द्वारा इसका भाड़ा 900 रुपए प्रति टन लिया जाता है । इससे हिमाचल प्रदेश में नई इंडस्ट्री कैसे आ पाएगी और सर्बाईव कर सकेगी यह सबसे बड़ा सबाल बना हुआ है।
क्या कहते हैं हरौली ब्लॉक इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष- हरौली ब्लॉक इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष
राकेश कौशल का कहना है कि ट्रक यूनियन का बोलबाला हिमाचल प्रदेश की इंडस्ट्री के लिए ही नहीं हिमाचल के लिए भी घातक है, क्योंकि इनकी गुंडागर्दी का शिकार उद्योगों को होना पड़ता है जिससे हेल्दी एनवायरमेंट उद्योगों को नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से पंजाब, चंडीगढ़दिल्ली राज्यों में ट्रक यूनियनों को खत्म किया गया है उसी प्रकार से हिमाचल प्रदेश में भी इनको खत्म किया जाना चाहिए तांकि प्रदेश में उद्योगों को अच्छा एनवायरमेंट मिल सके। उन्होंने कहा ट्रक यूनियनें प्रदेश के औद्योगिक विकास में सबसे बड़ी बाधक है,, क्योंकि इनकी कारगुजारिओं के चलते उद्योग दुखी हैं। उन्होंने कहा कि अच्छा एनवायरमेंट होगा तो उद्योग आएंगे और रोजगार के अवसर भी हिमाचल में बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि इस समस्या को हल करने के लिए प्रदेश सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए