दिव्यकुलम विद्यालय में वीर सावरकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में विद्यार्थियों से संवाद
करनाल, आशुतोष गौतम ( 27 फरवरी ) स्वातंत्र्य वीर सावरकर भारतीय स्वाधीनता संग्राम की पहली पंक्ति के योद्धाओं में शिरोमणि हैं। वे भारत के ही नहीं अपितु समूचे संसार में संभवत: इकलौते स्वतंत्रता सेनानी हैं जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कालापानी अर्थात अंडमान की सेल्यूलर जेल की काल कोठरियां उनके अप्रतिम संघर्ष की आज भी गवाही देती हैं। हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और निदेशक डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने यह टिप्पणी क्षेत्र के गंगा टिहरी गांव में स्थित दिव्यकुलम विद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में की। वीर सावरकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के संचालक व प्रधानाचार्य राजपाल सिंह ने की। डॉ. चौहान ने कहा कि वीर सावरकर बाल्यावस्था से नेतृत्व के गुणों से लबरेज थे और बचपन में अपने साथियों पर आधारित वानर सेना बनाकर अंग्रेजों से देश को स्वतंत्र करने की कल्पना किया करते थे। वीर सावरकर ने भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की दास्तान को एक पुस्तक का आकार देकर प्रकाशित करने का अद्भुत कार्य किया। उनकी लेखनी और पुस्तक से भयाक्रांत अंग्रेजों ने न केवल उनकी किताब को प्रतिबंधित किया बल्कि वीर सावरकर को बंदी बना कर कालापानी की कठोर सजा दे डाली। अपने संबोधन में प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह चौहान ने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपने जीवन में सफलता के लिए वीर सावरकर और उनके जैसे क्रांतिकारियों और महापुरुषों के जीवन को अवश्य पढ़ें। इसके लिए विद्यार्थियों को पुस्तकों और पुस्तकालय के साथ गहरा नाता जोडऩा होगा। ग्रंथ अकादमी उपाध्यक्ष डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान स्थापित करने के लिए राजपाल सिंह और उनके सहयोगियों को साधुवाद दिया। उन्होंने विद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे अपने विकास के लिए क्षेत्र के गांव गोंदर में स्थापित किए गए सामुदायिक रेडियो स्टेशन रेडियो ग्रामोदय के साथ सीधा जुड़ाव कायम करें। कार्यक्रम के अंत में डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने पुलवामा के शहीदों का स्मरण किया और आज ही के दिन पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी शिविरों पर आक्रमण कर दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाने वाले भारत के योद्धाओं के प्रति भी भारत माँ की जय के उद्घोष के साथ कृतज्ञता ज्ञापित की। राजपाल सिंह ने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से कहा कि वीर सावरकर को सच्ची श्रद्धांजलि उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही दी जा सकती है। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे आज से अपने जीवन में वीर सावरकर की कोई एक अच्छी बात उतारने का संकल्प अवश्य लें। इस अवसर पर डॉ. अनूप सिंह , रोमा, सोनी बिंदल, ऋचा शर्मा, प्रदीप शर्मा, संदीप कुमार, रेखा शर्मा आदि गणमान्य उपस्थित थे