पेमेंट के आभाव में किसानों की दीपावली रही फीकी
करनाल, आशुतोष गौतम। प्रदेश के मुख्यमंत्री के वायदे के मुताबिक भी दीपावली पर बहुत कम किसानों की धान की पेमेंट आई है मुख्यमंत्री ने दीपावली पर सभी किसानों की धान की फसल का भुगतान करने का आशवासन दिया था मगर फिर भी बहुत से किसानों की पेमेंट नहीं आई। यह बात जुंडला अनाज मंडी के आढ़ती फूलसिंह मंजूरा ने कही। मंजूरा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों की पेमेंट का भुगतान 72 घंटों में करने का दावा करती थी मगर एक महीने से भी ज्यादा समय में सरकार भुगतान नहीं कर पाई है। मंजूरा ने कहा कि किसानों की पेमेंट पूर्व मुख्यमंत्री औम प्रकाश चौटाला के राज में 72 घंटों में कर दी जाती थी। उनके शासनकाल में किसानों को किसी प्रकार की कठनाई का सामना नहीं करना पड़ता था। उन्होंने कहाकि किसान अपनी फसल की पेमेंट पाने के लिए तंगहाली में कभी आढ़तियों तो कभी मंडी अधिकारियों के चक्कर काट रहा है इस सब के बावजूद किसान की समस्या का हल नहीं हो पा रहा है। मंजूरा ने कहा कि इस सब के चलते किसान आर्थिकतौर पर टूट चुका है और अपनी विवशता पर आंसू बहा रहा है। आज किसान को उसकी अपनी फसल का भुगतान न होने के कारण भारी परेशानी का शिकार होना पड़ रहा है। उसे अपनी आगामी गेंहू की फसल की बिजाई करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि किसान अपनी फसल की बिजाई के लिए बीज, खाद, डीजल व मजदूरी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए दर दर भटक रहा है। मगर उस किसान की यह जरूरत भी कहीं से पूरी नहीं हो रही है। मंजूरा ने कहा कि किसानों की फसल का भुगतान न होने के कारण किसानों और आढ़तियों का आपसी भाईचारा खराब हो रहा है। आए दिन किासन आढ़तियों के साथ झगड़ा करने पर उतारू हैं। जबकि किसानों की फसल के भुगतान में आढ़तियों का कोई दोष नहीं है। मंजूरा ने कहा कि सरकार को देश के अन्नदाता के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार नहीं करना चाहिए। उन्होंने सरकार से जिन किसानों की फसल का भुगतान नहीं हुआ है उन किसानों की फसल के भुगतान की गुहार लगाते हुए कहा कि सरकार किसानों की पेमेंट जल्द उनके खातों में लगवाए ताकि किसान अपनी आगामी गेंंहू की फसल की बिजाई निशचित समय पर कर सके। और अपनी अन्य जरूरतों को भी पूरा कर सके। धन के आभाव में किसानों की दीपावली फीकी रही और उनके चेहरे पर मायूसी साफ देखी जा सकती है। इस अवसर पर उनके साथ किसान सुमेर सिंह काछवा, दयासिंह बाम्बरेहडी, धनपत बाम्बरेहडी, राजू दादूपुर, संजय जुंडला, चन्द्रभान शाहपुर मौजूद थे।