रेणुबाला गुप्ता ने पुलिस नाकों पर जाकर किया कर्मचारियों का धन्यवाद, महामारी से बचाव के लिए सेनेटाइजर व मास्क भी दिए
करनाल, आशुतोष गौतम (8 अप्रैल ) समाज के रक्षक पुलिस के जवानों को ड्यूटी के समय कितनी पीड़ा व शारीरिक कष्ट सहन करना पड़ता है, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ इस महायुद्ध के असली नायक पुलिसवाले ही हैं। खुद व परिवार की परवाह किए अपनी ड्यूटी का सर्वोत्तम निर्वहन कर आपकी सेवा में डटे हुए हैं। यह बात मेयर रेणुबाला गुप्ता ने पुलिस नाकों पर कई दिनों से दिन-रात ड्यूटी दे रहे कर्मियों को सेनेटाइजर, मास्क व खाद्य पदार्थ वितरण के दौरान कही। मेयर ने पूरे शहर के पुलिस नाकों पर दौरा कर पुलिसकर्मियों का धन्यवाद कर उनका हौसला बढ़ाया। सामान वितरण सेवा आईएनआर रॉयल सिटी, मां अन्नपूर्णा भंडारा ट्रस्ट व गोल्डन मोमेंट की तरफ से की गई। इस अवसर पर नवीन गुप्ता, देवेंद्र गुप्ता, विजय, अनिल बहल, धर्मपाल वधवा, राजीव मुंजाल, अजय गोयल, संजीत काम्बोज, सागर पपरेजा व शंटी गुलाटी मुख्य रूप से मौजूद रहे। मेयर रेणुबाला गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल के निर्देशन व मार्गदर्शन में भाजपा का हर कार्यकर्ता जनसेवा कर रहा है। लॉक डाउन में किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो, इसकी मुख्यमंत्री स्वयं निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में पुलिस को लेकर नकारात्मक धारणा बना दी गई है, लेकिन यह सच्चाई नहीं है। पुलिस का नाम सामने आते ही लोग नाक-भौंह सिकोड़ने लगते हैं। अक्सर पुलिसवालों को गलत समझा जाता है, उन्हें गालियां दी जाती हैं, उन्हें निशाना बनाया जाता है, इस सबके बाद भी जब समाज पर कोई संकट आता है तो सबसे पहले पुलिस को ही याद किया जाता है। संकट की इस घड़ी में पुलिसकर्मियों ने यह साबित भी कर दिया है कि वे ही समाज के असली प्रहरी हैं। मेयर ने कोरोना संक्रमण से काल का ग्रास बने सबइंस्पेक्टर ख़िलाराम व अन्य बलिदानी पुलिस के जवानों को श्रद्धांजलि दी तथा समाज की रक्षा के लिए किए जा रहे पुलिस के जवानों के त्याग को सैल्यूट किया। पुलिस विभाग की तारीफ करते हुए मेयर रेणुबाला गुप्ता ने कहा कि पुलिसकर्मी अपने प्राणों की चिंता किए बिना देश की सुरक्षा में लगे रहते हैं।
घड़ी देखे बिना काम करता है पुलिस विभाग- उन्होंने कहा कि सभी विभागों में अगर कोई एक विभाग घड़ी देखे बिना काम करता है तो वह पुलिस विभाग है। उन्होंने कहा कि देश की 125 करोड़ जनता की सुरक्षा करने वाली पुलिस हमें नहीं दिखाई पड़ती। जब हम सब गाड़ी में बैठकर कहीं जा रहे होते हैं तो चौराहे पर खड़ा कांस्टेबल या हवलदार हमें दिखाई नहीं देता जो ट्रैफिक की व्यवस्था करता है। क्या हमारे दिल में नहीं आता कि इनका भी परिवार होगा। उन्होंने कहा होली, दिवाली हर त्यौहार पर पुलिसवाले अपना घर परिवार छोड़कर हमारी सुरक्षा कर रहे होते हैं। उनके भी बच्चे सोचते होंगे कि पापा हमारे साथ दीपावली मनाएं, लेकिन उस समय भी पुलिस के जवान हमारी रक्षा कर रहे होते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि पुलिसकर्मी ने अपनी 35 साल की ड्यूटी में पता नहीं किस दिन टाइम से जाकर अपनी बीवी और बच्चों के साथ खाना खाया होगा?
पुलिस को सकारात्मक नजरिए से देखना होगा- गुप्ता ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हमें पुलिस को सकारात्मक नजरिए से देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मी तमाम आलोचनाओं के बाद भी अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं। आपदा की इस घड़ी में पुलिस संकटमोचन बनकर खड़ी है, जिसका समाज ऋणि रहेगा।