शक्ति को जगाएं और कार्य में लगाएं : मुनि पीयूष
करनाल, आशुतोष गौतम ( 31 मई ) उपप्रवर्तक श्री पीयूष मुनि जी ने श्री आत्म मनोहर जैन आराधना मन्दिर से अपने दैनिक सन्देश में कहा कि शक्ति सफलता का आधारभूत उपादान है। शक्ति के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। शक्ति ही वास्तविक जीवन है। विश्व में जितने कार्य किए जाते हैं, उन सबकी जड़ में शक्ति काम करती है। इस विराट विश्व में अपरिमित शक्ति है। इसके बिना न जगत ही कायम रह सकता है और न जीवन ही टिक पाता है। संसार में प्रत्येक वस्तु में शक्ति अदृश्य रहती है। बाहरी आंखों से कई बार उसे देखना सम्भव नहीं होता। शक्ति का निवास पृथ्वी की सभी जड़ तथा चेतन वस्तुओं में है। आवश्यकता सिर्फ उसे जगाने तथा कार्य में लगाने की है। आयुबल, बुद्धिबल और बाहुबल मनुष्य का मुख्य बल नहीं है। मनुष्य मुख्यतया आध्यात्मिक प्राणी है। उसके जीवन के भौतिक तथा बौद्धिक पक्ष की अपेक्षा आध्यात्मिक पक्ष अधिक प्रबल है। एक आत्मवीर हजारों शत्रुओं का मुकाबला कर सकता है। मनुष्य की बुद्धि का जब आत्मशक्ति की तेजस्विता से मिलाप हो जाता है तो जीवन में असाधारण प्रतिभा उत्पन्न हो जाती है और मनुष्य शक्तिपुंज बन जाता है। धन-सम्पत्ति, ऐश्वर्य-वैभव, सौंदर्य, शारीरिक तथा बुद्धिबल आत्मिक बल के सामने विराट सागर के समक्ष छोटी सी बूंद जैसा है। आत्म शक्ति के द्वारा मानव मन तथा इन्द्रियों पर शासन कर सकता है। साधना के पथ पर चलने के इच्छुक व्यक्ति को अपनी आत्म शक्ति को पहचानना चाहिए और उसका सदुपयोग करना चाहिए। सदुपयोग करने से मानव का उत्थान होता है और दुरुपयोग करने से पतन होता है। आत्मशक्ति सिर्फ शक्ति है। वह स्वयं न उत्तम है और न अधम। उसका सही प्रयोग कल्याणकारी तथा गलत इस्तेमाल विनाशकारी होता है। मनुष्य को शुद्ध हृदय से काम करने के कारण चामत्कारिक शक्तियां मिलती हैं। शक्ति का मूल्य उसका प्रयोग करने वाले की भावना पर निर्भर होता है। मुनि जी ने कहा कि अच्छे लक्ष्य के लिए शक्ति का इस्तेमाल करने से लाभ होता है जैसे रोते हुए के आंसू पोंछना और संसार के हर प्राणी के सुख, उन्नति तथा भलाई के लिए प्रयत्न करना। इसके विपरीत दूसरों को हानि पहुंचाना अशुभ कार्य है और उसका परिणाम भी गलत होता है। आत्मशक्ति पाप में भी लगाई जाती है और पुण्य में भी। उसका प्रयोग सही तथा गलत लक्ष्य को लेकर होता है। आत्म शक्ति के महत्त्व को समझते हुए इसका सही इस्तेमाल करना चाहिए।